October 5, 2024

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भारत में VPN बैन, क्या है फायदे और नुकसान

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भारत में VPN बैन होने वाला है। पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ने होम अफेयर्स के सामने VPN बैन का प्रस्ताव रखा है। लेकिन यह मल्टीनेशनल और इंडियन कम्पनीज के लिए एक चिंता का विषय है, क्योंकि यह कम्पनियाँ covid 19 के दौरान “वर्क फ्रॉम होम / रिमोट वर्क ” पर निर्भर है। VPN के बारे में और अधिक जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़े।

VPN क्या है ? और यह कैसे काम करता है ?

VPN का फुल फॉर्म वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है। एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) एक पब्लिक नेटवर्क से एक प्राइवेट नेटवर्क बनाकर आपको ऑनलाइन गोपनीयता, सुरक्षित रखता है और सुरक्षित तरीके से कुछ भी सर्च करने में सहायता करता है। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क कुछ इस प्रकार काम करता है :- जब VPN को ऑन करते है तो सबसे पहले हमें सर्वर सेलेक्ट करना होता है।

जिस सर्वर का पिंग अच्छा होता है उसपर कनेक्ट करना होता है। एक बार सर्वर कनेक्ट हो जाये तो आप अब कुछ भी सर्च कर सकते है। इस नेटवर्क पर कोई थर्ड पार्टी एक्सेस नहीं कर सकती और वह चाह कर भी आपका सर्च रिजल्ट या आपका डाटा को एक्सेस भी नहीं कर सकते है। एक प्रकार से यह आपके और इंटरनेट की बाहरी दुनिया के बिच एक दिवार का काम करती है।

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भारत में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क बैन हो सकता है

पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी का कहना है कि “साइबरक्राइम को कंट्रोल करने के लिए VPN को बैन किया जाये” वही इंटरनेट पालिसी एक्सपर्ट्स और सिक्योरिटी रिसर्चर कहना है “स्ट्रेंज एंड इलल जज” इसका मतलब है यह न्यायिक रूप से गलत होगा यदि VPN बन हुआ तो। क्योकि इसका सीधा गलत प्रभाव MNC, IT फर्म और इंडियन कपनियों पर पड़ेगा जो अभी रिमोट वर्क / वर्क फ्रॉम होम पर आश्रित है। अमिताभ सिंघल, डिरेक्टर , टैक्सेस कंसल्टिंग सर्विसेज एंड फॉर्मर प्रेजिडेंट ऑफ़ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया , ने बताया ” VPN को बैन करना बहुत ही हानिकारक हो सकता है। यह सभी बड़े बिज़नेस में रुकावट बन सकता है। Covid-19 के दौरान सभी संस्था, चाहे वह इंडियन कंपनी हो या विदेशी कंपनी सबका ज्यादा तर काम घर से ही हो रहा है। सभी VPN का प्रयोग कर अपने नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए बिज़नेस को रेमॉटली कर रहे है।”

रिपोर्ट

अगस्त 10 को राज्य सभा में जमा किये गए रिपोर्ट में , स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया कि मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स को मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से VPN को परमानेंटली बैन कर देना चाहिए।
कमिटी का यह कहना है की वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विसेज और डार्क वेब साइबर सिक्योरिटी के दिवार को तोड़ सकती है जिससे अपराधी मनचाही एक्टिविटी कर सकते है।

इस (VPN BAN) समस्या का हल

नेहरा ने कहा , सरकार को थर्ड पार्टी ‘नो लॉग’ VPN एप्प्स और सॉफ्टवेयर और दूसरी वेब साइट्स को बैन करना चाहिए। ‘नो लॉग’ VPN से ऐसा नहीं हो सकता है कि यदि साइबर क्राइम होता है तो हैकर के IP एड्रेस , आइडेंटिटी को ट्रैक किया जा सके क्योकि कोई डाटा सेव हिनहि होगा। ज्यादा तर बड़ी कम्पनिया अपना VPN इस्तेमाल करते है। लेकिन यदि दो कम्पनिया आपस में डील कर रही है और यदि वे ऐसा वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का प्रयोग भी करते है जो डाटा सेव करता है, उनका डाटा सेव रहेगा।

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