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छठ पूजा तिथि 2024: पूजा का मुहूर्त और समय, कैसे मनाए, छठ पूजा का इतिहास और जानिए अधिक

छठ पूजा तिथि 2024: छठ पूजा, एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसे हम सूर्य षष्ठी के नाम से भी जानते हैं। इसे मुख्य रूप से झारखण्ड, बिहार, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पे मनाया जाता है। इस दिन सूर्य की पूजा, उगते और डूबते समय की जाती है और साथ ही दूध से अर्घ्य दिया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक महीने के षष्ठी तिथि और अंग्रेजी पंचांग के अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार मानव और प्रकृति के बीच संबंध, विश्वास, और दृढ़ता की शक्ति का एक प्रतीक है।

छठ पूजा तिथि और समय 2024

षष्ठी तिथि का आरम्भ 7 नवंबर की सुबह 12:41 पर होगा और इसकी समाप्ति 8 नवंबर की सुबह 12:35 पर है। उदय तिथि के अनुसार छठ पूजा 7 नवंबर को है। और इसी दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा।

छठ पूजा तिथि 2024: नहाय खाय

नहाय खाय छठ पूजा के पहले दिन को कहा जाता है, इस दिन व्रती स्नान करती है और एक समय का भोजन करती है।
इस दिन सूर्योदय का समय 6:39 AM पर है,और सूर्यास्त का समय 5:41 PM पर है।

खरना

खरना छठ पूजा के दूसरे दिन को कहा जाता है। इस दिन छठी माता के लिए विशेष भोग तैयार किया जाता है, जिसमें
शुद्धता और सादगी का ध्यान रखा जाता है। शाम के समय भक्त मीठा भात और लौकी की खिचड़ी ग्रहण करते हैं, जो इस
दिन का मुख्य प्रसाद होता है।

छठ पूजा तिथि 2024: संध्या अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन भक्त सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस अवसर पर गन्ना, चावल के लड्डू,
और बांस के सूप में रखे फल और अन्य सामग्री के साथ नदी या तालाब में खड़े होकर पूजा की जाती है। इस दिन सूर्यास्त
का समय शाम 5:29 बजे है।

उषा अर्घ्य

चौथे दिन भक्तो द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। और इस दिन व्रती अपने व्रत की समाप्ति करती हैं। इस दिन
सूर्योदय सुबह 6:37 पर है।

कैसे मनाते हैं छठ पूजा?

छठ पूजा के दौरान व्रती को सख्त नियमों का पालन करना होता है, जिसमें स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ
की शुरआत नहाय खाय से की जाती है, जहा व्रती चावल और लौकी की सब्जी का सेवन करते हैं। इसके अगले दिन को
खरना कहा जाता है , जिसमें गुड़ और चावल से बनी खीर तैयार की जाती है और इस खीर के ग्रहण करने के बाद 36 घंटे
का उपवास आरम्भ होता है, इसी दिन छठ मैया को चढ़ाने के लिए ठेकुआ भी बनाया जाता है। तीसरे दिन संध्या समय
डूबते सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन
किया जाता है।

छठ पूजा का प्रसाद

छठ पूजा के प्रसाद को बांस के सूप में सजाकर तैयार किया जाता है, और जब सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है तो इसे हाथ में
लेकर पूजा की जाती है। प्रसाद में आमतौर पर फल, नारियल, गन्ना, सुपारी, सिंघाड़ा, मूली शामिल होते हैं, लेकिन सबसे
ख़ास होता है आटे से बना ठेकुआ। ठेकुआ के बिना छठ पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। यही वजह है की खरना के दिन व्रती
अपने परिवार के साथ छठ मैया के लिए ठेकुआ तैयार करती है। ठेकुआ बनाने के लिए आटे का शुद्ध होना बहुत जरुरी
होता है, इसलिए कही जगहों पर पहली फसल से बने गेहू के आटे का ठेकुआ बनाते हैं, ताकि पूजा में पूर्णता आ सके।

छठ पूजा की इतिहास

छठ पूजा की शुरआत को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, दानवीर सूर्यपुत्र कर्ण, पानी में
लम्बे समय तक खड़े होकर सूर्य देवता की पूजा किया करते थे और फिर उन्हें जल अर्पित करते थे। छह पूजा में इसी तरह
की विधि अपनाई जाती है, इसी कारण कहा जाता है कि छठ पूजा की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है।

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